चुनाव –
मताधिकार.
मतदान के दिन सुबह
सवेरे ठीक 0700 बजे मैं वोटर कार्ड के साथ अपने पोलिंग स्टेशन पर पहुँचा. वहाँ दो लाईनों में कोई 20-22 स्त्रियाँ और पुरुष कतार में
थे. बारी-बारी से स्त्री
और पुरुषों को मताधिकार के लिए, केंद्र में छोड़ा जा रहा था. करीब डेढ-दो घंटे बाद
मैं कमरे में पहुँचकर उपस्थित अधिकारी को वोटर कार्ड थमा. उनने एक बार तो मुझे
देखा, फिर कहा कि सामने बैठे एजेंट से लिस्ट में मेरे नाम का क्रमांक प्राप्त कर
लूँ. जब उनके पास गया तो उनका जवाब था - आप बाहर जाकर बैठे लोगों से ले लीजिए. दो
घंटे लाईन में लगने के बाद ये बातें सुनने में मुझे खराब लगीं और मैं केंद्र से
बाहर आ गया.
मैं यहाँ
तबादले पर आया हूं. लोकसभा में मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मैंनें फार्म 6 भरा,
बार बार फालो करने के बाद मुझे वोटर कार्ड मिला. मैंने नेट पर जाकर अपना नाम लिस्ट
में देखना चाहा, पर वहां 2013 विधानसभा की ही लिस्ट मिली जिसमें मेरा नाम नहीं था.
लेकिन मताधिकार के समय सूची में क्रमांक के लिए मुझे वापस आना पड़ा.
किसी भी अखबार में, सूचना पटल पर कहीं भी, रेडियो पर (टी वी में भी) इसकी सूचना
नहीं थी कि मतदाताओं की सूची में अपने नाम के क्रमांक की पर्ची लेकर आना मतदाता का
सबसे जरूरी काम है, जिसके बिना मतदान नहीं किया जा सकेगा.
गुस्से से वापस
घर लौटकर मैंने फिर नेट खोला. वहाँ ceochhattisgarh.nic.in
पोर्टल पर मतदाता सूची दिखी. देखा उसमें पता के आधार पर और वोटर कार्ड (एपिक कार्ड
- एलेक्टर्स फोटो आईडेंटिटी कार्ड) के आधार पर मतदाता को खोजने के लिए प्रवधान किए
हुए हैं. पता के आधार पर या नाम के आधार पर खोजने में दुविधा यह है कि आपके वोटर
कार्ड पर लिखे गए नाम या पता पर ही खोजा जा सकेगा. आपको अपनी विधान सभा क्षेत्र
संख्या, वार्ड मोहल्ला क्रमांक इत्यादि जानना होगा. उससे आसान है कि वोटर कार्ड के
नंबर से खोजा जाए. मैंने सीधा एपिक (वोटर कार्ड ) नंबर
वाला तरीका अपनाया और पाया कि मेरा नाम विधानसभा क्षेत्र 21 के भाग 7 में अनुभाग
2 में 1246 क्रमांक पर है. इस सूचना को नोट कर मैं फिर भरी दोपहर 3.00 बजे
अपराह्न को केंद्र में गया. वहां जो अधिकारी बाहर बैठे थे उनसे संपर्क किया. उनसे
पता चला कि मेरे नाम वाला लिस्ट नहीं मिल रहा है. उनके पास की लिस्ट में 1243 तक
के क्रमाँक थे जबकि मेरा नाम क्रमाँक 1246 में होना था. मैंने अपनी पर्ची दिखाई
जिसमें भाग, अनुभाग व क्रमाँक लिखा था. मुझे राय दी गई कि मैं अपनी पर्ची लेकर कोशिश
करूँ कि मत दिया जा सकता है या नहीं, अन्यथा फिर से वे मेरा क्रमांक वाला पेपर
खोजेंगे. केंद्र दोपहर की वजह से (शायद) सूना था और मेरी पर्ची पर पीठासीन अधिकारी
ने मुझे मताधिकार का प्रयोग करने दिया. सो मैं बाहर के अधिकारियों को धन्यवाद
ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि मेरा फोटो वोटर स्लिप मिल जाए तो अगली बार के लिए काम
आएगा. लेकिन वहाँ के अधिकारियों ने कहा – अब वोट डाल चुके हैं, अब इसका क्या
करेंगे रहने दीजिए. अगली बार नई पर्ची मिल ही जाएगी. मैं घर लौट आया.
देर रात जब दोस्तों
में फिर बात चली और मैं अपना वोटर कार्ड लोंगों को दिखा रहा था, तो देखा कार्ड के
पीछे विधानसभा क्रमांक व सूची में मेरा क्रमांक (केवल संख्या थी क्रमांक शब्द नहीं
था) छपा हुआ है. आश्चर्य की बात कि न ही मुझे इसकी खबर थी कि यह संख्या जो वहां लिखी
है - मेरा मतदाता क्रमांक है और न ही केंद्र में किसी को इसका पता था. मैं इस मसले
को यहां इसलिए पेश कर रहा हूं कि आगे होने वाले मतदान में लोग इसकी सुध ले और
परेशानी से बचें.
साराँशतः—
1)
मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वोटर
कार्ड से ज्यादा मतदाता सूची में आपके नाम का क्रमांक जरूरी है. यह आप नेट
में पा सकते हैं या फिर केंद्र में बैठे सरकारी कार्यकर्ता से भी पा सकते हैं.
पहले यह पार्टी के कार्यकर्ताओँ से भी मिलता था लेकिन उसे भी प्रलोभन मानते हुए
आयोग ने इस बार सरकारी प्रतिनिधियों को ही यह कार्य सौंप दिया है.
2) वोटर कार्ड
के पीछे निर्वाचन अधिकारी के हस्ताक्षर के नीचे निर्वाचन
क्षेत्र का नाम
व क्रमांक लिखा होगा और एकदम नीचे (सफेद भाग के अंत में) आपका भाग व क्रमांक लिखा
होगा (जैसे 7/1246. भाग 7 क्रमांक 1246).
नए वोटर कार्ड
में क्रमांक की यह जानकारी सही पाई जाती
है. किंतु पुराने कार्डों में कभी-कभी परिवर्तन देखा गया है. भारत के दो राज्यों
में तो यह मैंनें खुद देखा है. नया भी और पुराना भी.
3) मतदाता
पहचान पत्र के नहीं होने पर निम्न में से कोई एक पहचान पत्र स्वीकार किया जाता है.
अ.
ड्राईविंग
लाईसेंस
आ.
सरकारी कार्यालय या उपक्रमों द्वारा जारी
फोटो पहचान पत्र.
इ.
पासपोर्ट
ई.
पेन कार्ड
उ.
आधार कार्ड
ऊ.
फोटो युक्त – सरकारी वैंक य़ा पोस्ट ऑफिस का
पासबुक.
ऋ.
राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रमाणित पहचान
पत्र.
ऌ.
मनरेगा में दिया गया पहचान पत्र
ऍ.
स्वास्थ्य बीमा कार्ड
ऎ.
फोटो युक्त पेशन अधिकार पत्र.
ए.
वोटर कार्ड.
सबसे बड़ी बात
है मतदाता सूची में अपने नाम का क्रमांक साथ रखना. इस बार बी एल ओ को घर-घर जाकर
फोटो मतदाता पर्ची बाँटने का कार्य सौंपा गया था. पर ढ़ाक के तीन पात... कहीं बँटे
तो कहीं नहीं बँटे. मुझे नहीं मिला.. मताधिकार केंद्र में भी कोई विशेष सूचना नहीं
दी गई थी कि मतदाता सूची क्रमांक आवश्यक है, इसलिए कई लोग मतदाता कार्ड/अन्य पहचान पत्र लेकर लाईन में लगे रहे. केंद्र में जाने पर
उन्हें लौटा दिया गया और बाहर बैठे बी एल ओ से मतदाता सूची क्रमांक लाने को कहा.
कईयों ने तो बिना मतदान किए ही घर का रास्ता पकड़ लिया. यदि इस सूचना से जन-साधारण
को पहले से अवगत कराया गया होता तो वे फोटो वोटर पर्ची न मिलने पर बी एल ओ से
मतदाता पर्ची लेकर आते और कतार में उनका समय बर्बाद नहीं होता. पढे लिखे लोग नेट
से मतदाता पर्ची लेकर आते. अखबारों की मानें तो आँध्र में कम मतदान का एक कारण यह
भी रहा है.
इसके लिए संभव
है कि आप अपने राज्य के सी.ई.ओ ( मुख्य चुनाव अधिकारी) के पोर्टल पर जाएं. वहां
(छत्तीसगढ़ के लिए ceochhattisgarh.net.in) पर नाम, पता के
आधार के साथ और वोटरकार्ड संख्या के आधार पर मतदान केंद्रों
व सूची में क्रमांक सहित मतदाता पर्ची (वोटर
स्लिप) उपलब्ध कराया जाता है, जो मतदाता केंद्रों में मान्य है. आप पर्ची प्रिंट
कर लें या फिर उसमें की सूचना कागज पर लिख लें दोनों चलेगा.
वोटर स्लिप के आधार पर ही आप को मताधिकार प्राप्त होगा. अन्यथा आप मताधिकार के
प्रयोग से वंचित रह जाएंगे.
कुछ खास बात –
ऐसा देखा गया है कि मतदाता सूची में क्रमांक की जानकारी व मतदाता पर्ची बाँटने
वाले बी एल ओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) केंदों में सही समय पर न पहुँच पाने के कारण कुछ
जगहों पर मतदान देर से शुरु हुआ. इससे से भी बढ़कर खबर यह कि चुनाव केंद्र के
अधिकारी समय पर न आ पाने के कारण भी चुनाव देर से शुरु हुए. कुछ जगहों पर चुनाव
केंद्रों में कर्मचारियों को ई वी एम के बारे में जानकारी पुनः देने की जरूरत की
वजह से भी चुनाव शुरु होने में देरी हुई.
ऐसे बहुत से उदाहरण सामने आए हैं जहाँ वोटर कार्ड तो है पर नामावली में नाम
नहीं है. पिछले बार मतदान किया पर इस बार नाम नदारद है. आँध्र में चुनाव आईकन बनाए
गे श्री ब्रह्मानंदं (सिने एक्टर) का ही नाम मतदाता लिस्ट में नहीं मिला. बेचारे
सब को वोट करने के लिए प्रेरित करते रहे, पर खुद वोट नहीं दे सके. एक नेता और सिने
कलाकार लाईन से परे वोट डालने की कोशिश पर धरे गए. अंततः उन्हें लाईन में आना पडा.
कई बुजुर्ग अधिकार से अपरिचित होने के कारण लाईन में लगे रहे. इस बार आयोग ने
सानियर सिटिजेन, विकलाँगों को लाईन में लगने की जरूरत को दर किनार कर उन्हें
पहुँचते ही मतदान कराने के लिए आदेश दिए हैं. पर जो लोग लाईन में लग गए उन्हें
किसी ने नहीं बताया कि उन्हें लाईन में लगने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के
निर्देशों के बाद भी मतदान केंद्रों में विकलांगों केलिए रैंप नहीं बनाए गए.
कुछ राज्यों में मतदाता सूची में नाम जोड़ने, वोटर कार्ड सुधार और मतदान
संबंधी विविध सूचनाओं के लिए नेट की सुविधा दी गई. यह सुविधा सारे देश में लागू कर
दी जानी चाहिए. हैदराबाद में तो ई सेवा से रंगीन मतदाता कार्ड भी दिए जा रहे हैं. मतदान के कार्य को ऑन लाईन संपन्न
क्यों नहीं कराया जा सकता.
एक और रोचक
तथ्य जानने को मिला कि बॉर्डर पर सेवारत जवान वोट नहीं दे पाते. इसी तरह रेल्वे के
उस दिन के कार्यरत कर्मचारी, पोलिंग बूथ पर नियुक्त कर्मचारी कुछ ऐसे नागरिक हैं
जो मतदान नहीं कर पाते. इनके लिए आयोग को विशेष तौर पर सोचना होगा. पोस्टल बोलेट
तो करवाया ही जा सकता है. सेना के तैनात जवानों को मतदान करने से वंचित रखना
अशोभनीय लगता है. पोस्टल बेलेट के लिए नियम व तरीकों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि
यदि किसी व्यक्ति विशेष को कार्यवश परदेश भी जाना पड़े तो वह पोस्टल बेलेट दे कर
जा सकता है.
आप यह भी जानें कि मतदान केंद्रों मे मोबाइल, हथियार , किसी भी पार्टी का
चुनाव चिन्ह खुला ले जाना अपराधिक गतिविधियों के तहत आते हैं. साथ ही आप अपने मत
के बारे में किसे दिया है या किसे नहीं दिया है कोई खुलासा मतदान केंद्र से 100
मीटर के दायरे में नहीं कर सकते अन्यथा आप पर कानूनी घाराएं लागू हो जाएंगी. आचार
संहिता के आधार पर किसी भी समाज या कौम को भड़काने वाले भाषण, भाषा, जाति के साथ समीकरण
बनाने वाले वक्तव्य, अपराधिक गतिविधियों में सम्मिलित होना या होने के लिए प्रेरित
करने वाले काम में सम्मिलित होना या
वक्तव्य देना भी अपराधिक गतिविधियों में आता है. मोदी और नायडू द्वारा वोटों के
बारे में चर्चा तो अखबारों में खूब चली.
उम्मीद है कि चुनाव आयोग तक खबर पहुँचेगी और कम से कम अगले
चुनाव में इन विषयों का ख्याल रखें कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे.
लक्ष्मीरंगम.
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