ये क्या हुआ ????
कुछ ही समय तो हुआ है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष
कर दी थी. बात भले कुछ भी कही गई हो, पर आर्थिक हालात ही शायद सही कारण हैं. पड़ोसी
राज्य मध्यप्रदेश में यह अब भी 58 वर्ष पर ही टिकी हुई है. 60 से 62 करते समय हमें
गर्व था कि हमने देश में सबसे पहले रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 62 की है. शायद
भाजपानीत पड़ोसी सरकारों के मुख्यमंत्रियों के बीच का होड़ इसका कारक था.
किंतु केंद्र में भाजपा की सरकार के बनते ही तेवर बदल गए. देश भर में एक समान
पद्धति की आड़ लेते हुए, राज्य की भाजपा सरकार ने केंद्र से तालमेल रखने के लिए
पुनरावलोकन शुरु कर दिया है. सोचा जा रहा है कि 62 की आयु सीमा को बैक-रोल कर 60
क्यों न कर दिया जाए ? उधर मध्यप्रदेश में 58 वर्ष को 60 वर्ष करने की सोची जा
रही है.
एक और विचार उभर रहा है कि समरूपता की आड़ में, निर्णय केंद्र सरकार पर छोड़
दिया जाए और निर्णयानुसार सारे देश में इसे 60 या 62 वर्ष की आयु सीमा तय कर दी
जाए.
जिन लोंगों ने 60 पार कर लिया है और 62 की ओर बढ़ रहे हैं उनका क्या होगा.
सरकार के फैसले के अनुसार वे अपना प्रबंधन कर चुके होंगे. अब फिर परिवर्तन करना होगा...
सरकार के निर्णयों के कारण ... उनमें फेर बदल के कारण.
हो सकता है कि आर्थिक हालातों के कारण सारे देश में रिटायरमेंट की सीमा 62
वर्ष की कर दी जाए.. पर कोई सोचे कि इसका बेरेजगारी पर कैसा असर पड़ेगा. कितने पद
रिक्त होने से रह जाएंगे और फलस्वरूप
कितनों की बढ़ोत्तरी रुक जाएगी. कितने नवयुवक रोजगार से वंचित रह जाएंगे. आज के एक
बुजुर्ग की तनख्वाह में तीन नवयुवकों को नौकरी दी जा सकती है. और बुजुर्गियत की
वजह से सरकार पर पड़ने वाला अन्य खर्च ... सो अलग है.
मेरा तो मानना है कि रिटाय़रमेंट की आयुसीमा घटाकर 55 वर्ष कर दी जानी चाहिए.
इसके कई फायदे हैं. पहला कि रिटायर्ड लोंगे के स्थान पर पुनर्नियुक्ति से नवयुवकों
को रोजगार मिलेगा. दूसरा 55 वर्ष की आयु में रिटायर्ड व्यक्ति अपनी युक्ति – शक्ति
और धन के साथ अच्छी नौकरी तो पा ही सकता है . लेकिन उसके लिए और समाज एवं देश के
लिए भी बेहतर होगा कि वह एक निजी व्यवसाय स्थपित कर अन्यों के लिए रोजगार उत्पन्न
कराए. और भी अच्छा होगा यदि संपन्न रिटायर्ड व्यक्ति कोई उद्योग की स्थापना करे
जिससे उनकी अपनी आमदनी तो बढ़ेगी ही, साथ ही बहुत से लोगों को रोजगार मिलेगा. इस
तरह से आयु सीमा 55 करने पर रोजगार की सम्स्या का कुछ हद तक समाधान मिल सकेगा.
परिवार-समाज और देश की जो आर्थिक- औद्योगिक उन्नति होगी सो अलग.
सरकारी पद्धतियों का साथ मिले तो क्या कहने ... सोने पर सुहागा.. नए उद्योंगो
की स्थापना में बढ़ोत्तरी की जा सकती है और बेरोजगारी की समस्या के समाधान को तेज
किया जा सकता है.
मोंने विचार रखए हैं अब निर्मायकों की सोच पर सब कुछ आधारित
है... कि ऊँट किस करवट बैठेगा.
लक्ष्मीरंगम
रिटायरमेंट, आयु सीमा, रोजगार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें