नाले का पुल.
बात आश्चर्यजनक तो है पर सच भी
है.यह दर्शाता है कि गाँव- शहरों में सुविधाओं के साथ सामाजिक प्रगति किस तरह से
जुड़ी है और वहाँ के बाशिंदों को इसका किचतना फायदा – नुकसान होता है. इस बात का
भी इजहार करता है कि ये सुविधाएं सामाजिक उत्थान व पतन में बहुत ही भागीदार होती
हैं.
हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी
रायपुर से कोई 100 किलोमीटर दूर स्थित बलोदा बाजार के लगभग 2000 की आबादी वाले एक
गाँव – खैरा में खैरा नाला नाम का नाला है. जिस पर कोई पुल नहीं था सो बरसात के
चौमासे में यह गाँव शहर से कट जाता था. लोग तो आवाजाही के लिए परेशान तो थे ही –
अन्य परेशानियाँ भी थीं.
हाल में इस नाले पर एक पुल बनाया
गया है. जानते हैं परिणाम क्या हुआ? मई के 10 दिनों में यहाँ 36
शादियाँ हो गई. देखिए इस नाले के पुल ने क्या आलम बना रखा था. पुल के बनने से गाँव
शहर से जुड़ गया है और अब विकास की आशा बँधी है.. लोगों में इस पुल के न बनने से
हुए रोष का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इतनी शादियाँ पुल की वजह से
रुकी थीं.
आशा है कि सरकारी महकमें इस
घटनाक्रम से सीख लेंगे और अत्युपयोगी सुविधाएं गाँवों मे पहुँचाएंगे. ताकि संभवतः
ग्रामवासी
ऐसी मुसीबतों से बच सकें.
यह सुविधा तो है ही, साथ ही
समाजसेवा और परोपकार भी है.
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एम.आर.अयंगर
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