सोमवार, 24 अगस्त 2015

भाषाओं में बाँसुरी वादन

 आठ भाषाओं में बाँसुरी वादन (नवभारत-रायपुर की खबर)

वाह रे नवभारत (नभा) तेरा भी कोई जवाब नहीं.

सदियों से भाषा से अछूती रही संगीत (म्यूजिक) को तूने भाषा दे ही दिया

और सेवक राम जी आप भी मूक बने रह गए. 

कहा गया है कि आप आठ भाषाओं में बाँसुरी बजाते हो.

यदि मेरी अकल ठिकाने है तो बाँसुरी वादन की कोई भाषा ही नहीं होती –

आठ की तो छोड़ ही दीजिए.

यदि पत्रकारिता का ऐसा ही हाल रहा –

तो वे दिन दूर नहीं जब नवभारत हिंदी में तबला बजाने की प्रतियोगिता करवाएगा.

सुधर जाइए और सुधार लीजिए जनाब.

अभी पूरी तरह बिगड़ा नहीं है,

लेकिन हाँ बरबादी की तरफ अग्रसर तो हो ही गया है.

यही हाल रहा तो अखबार के बंद होने में ज्यादा देर बाकी नहीं है.
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एम. आर. अयंगर


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